October 24 2019
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मौजूद वरिष्ठ पत्रकार सुचित्र मोहंती के मुताबिक़ तीन जजों की बेंच का नेतृत्व कर रहे जस्टिस एनवी रमन्ना ने सरकार से सवाल किया, "और कितने दिनों तक आप पाबंदियां लगाए रखना चाहते हैं? अब इस बात के क़रीब दो महीने हो चुके हैं. आपको इस पर अपना रुख़ स्पष्ट करना होगा या फिर और दूसरे रास्ते तलाशने होंगे.इस मामले की अगली सुनवाई अब पाँच नवंबर को होगी. कोर्ट ने सरकार से पूछा, "आप पाबंदिया लगा सकते हैं लेकिन आपको अपने फ़ैसले की समीक्षा करनी होगी. क्या आप करेंगे?"जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तरफ़ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि 99 फ़ीसदी इलाक़ों से पाबंदियों को हटा लिया गया है और इस पर सरकार रोज़ चर्चा कर रही है,इंटरनेट पर लगी पाबंदियों का ज़िक्र करते हुए कोर्ट ने सरकार से पूछा, "आख़िर में लोगों को संचार का कोई न कोई माध्यम तो मिलना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने के बाद सरकार और कितने दिनों तक वहां पाबंदियां लगाए रखना चाहती है.सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35ए को हटाए जाने के सिलसिले में कई याचिकाएं की सुनवाई कर रहा है.कोर्ट की संवैधानिक बेंच इस सिलसिले में कुछ याचिकाओं की अगली सुनवाई 14 नवंबर को करेगी.इन याचिकाओं में एक वरिष्ठ पत्रकार अनुराधा भसीन की भी याचिका है जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कश्मीर के हालात, वहां सभी संचार सेवाओं के बंद हो जाने से लोगों को हो रही परेशानी के साथ पत्रकारों और मीडिया के काम करने की असमर्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी.
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